श्रीमती संध्या मिश्रा

  • ’अज्ञानाश्रय ट्रस्ट‘ के वैचारिक मंच को बहुमुखी सामाजिक मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास –
’अज्ञानाश्रय ट्रस्ट ‘ के वैचारिक मंच को बहुमुखी सामाजिक मुख्यधारा को जोड़ने के लिए निम्न विचार प्रस्तुत है- सभी न्यासीगण ट्रस्ट के विचारों का प्रचार प्रसार अपने अपने कार्य और सामाजिक लेखों में कर सकते है । इससे धीरे धीरे वैचारिक जागरूकता हो सकेगी और इस सोच में विश्वास रखने वाले ट्रस्ट से जुड़ेंगे ।
  • राष्ट्रीय और विश्व स्तर पर ’व्यापक जनमानस और राजनैतिक व्यवस्था के मध्य ’प्रशासनिक‘ और न्यायिक व्यवस्था‘ का अपराध मुक्ति के लिए रचनात्मक स्वरूप –
सभी व्यवस्थाओं को सच्चाई, ईमानदारी , संवेदना और पूर्ण निष्ठा के साथ कार्य करना चाहिए, तभी बुराइयों और अपराध पर नियत्रंण पाना सम्भव हो सके और जनमानस का उत्थान हो सकेगा।
  • ’सनातन धर्म‘ से ’सर्वधर्म समभाव‘ की परिकल्पना मानवहित में की जा सकती है-
मेरे विचार से सनातन धर्म से मानवहित में ’सर्वधम र् समभाव‘ की परिकल्पना और अपेक्षा मानवहित में निश्चय ही की जा सकती है।
  • धर्म/अध्यात्म से राष्ट्रीय और विश्व स्तर पर रचनात्मक मानवीय समाधान की सम्भावना –
धर्म/अध्यात्म सही तरीके से (बुराइयों / कमियों को दूर करके) रचनात्मक मानवीय समाधान का माध्यम हो सकता है। आज की परिस्थितियों में पुरानी रूढ़िवादी मान्यताओं, जो समाज के लिए लाभप्रद नहीं है , उनको जबद र्स्ती थोपना नहीं चाहिए,बल्कि प्रगतिशील विचारधारा को अपनाकर अपनी संस्कृति/संस्कार यानि धर्म और अध्यात्म के साथ बढ़ना चाहिए।
– श्रीमती संध्या मिश्रा(आजीवन न्यासी सदस्य)
(विशेष- उपरोक्त वक्तव्य/विचार वार्षिक समारोह/सामान्य बैठक (05.11.21 – 20.11.21) का आवश्यक अंश है। )