दया, करुणा, प्रेम और परोपकार आदि से युक्त व्यक्ति, भौतिकता और आध्यात्मिकता से जुड़ने का प्रयास कर सकता है।
(विशेष – उपरोक्त अंश ’वार्षिक समारोह (11.10.20) से साभार लिया गया है।)
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’अज्ञानाश्रय ट्रस्ट‘ के वैचारिक मंच को बहुमुखी सामाजिक मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास –
मेरे विचार से शोसल मीडिया (फेसबुक और ट्टिर आदि) पर न्यास को अपनी उपस्थिति रखनी चाहिए।
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राष्ट्रीय और विश्व स्तर पर ’व्यापक जनमानस और राजनैतिक व्यवस्था के मध्य ’प्रशासनिक‘ और न्यायिक व्यवस्था‘ का अपराध मुक्ति के लिए रचनात्मक स्वरूप –
सम्भव प्रतीत नहीं होता परन्तु एक समान व्यवहार करके सभी प्रकार की व्यवस्थओ में अपराध के प्रतिशत को कम किया जा सकता है।
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’सनातन धर्म ‘ से ’सर्वधर्म समभाव‘ की परिकल्पना मानवहित में की जा सकती है-
किया जा सकता है, परन्तु विभिन्न सम्प्रदायों , मान्यताओं पदों के लोगों को वैचारिक मतभेद पर स्वस्थ चर्चा करनी होगी।
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पूर्व की ’राजाश्रय व्यवस्था‘ और वर्तमान की ’राजनैतिक व्यवस्था‘ का जनमानस में उपयोग -जन साधारण को सुलभ न्याय एवं पक्षपात रहित व्यवस्था देनें पर सभी तन्त्र समाज के लिए विकासोन्मुख होंगे ।
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धर्म/अध्यात्म से राष्ट्रीय और विश्व स्तर पर रचनात्मक मानवीय समाधान की सम्भावना –