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जिंदगी में बहुत से उतार.चढ़ाव आते हैं कुछ तो वक्त के साथ भर जाते हैं और कुछ जिंदगी को एकदम खाली कर जाते हैं। पापा आपका जाना हमारी जिंदगी को एकदम खाली सा कर दिया।जिंदगी तो चलेगी ही और चल भी रही है एसुख.दुख सब आएंगे एपर पापा आप के बिना इस जिंदगी में जीवंतता कहां ला पाएंगे । पापा आपने हम सब को बहुत ही मजबूत बनाया था पर अपने बगैर जीना कहां सिखाया था। माया मोह से तो आप सदा ही दूर थेए पर हम बच्चों से मोह त्याग देंगे ऐसे भी मजबूत नहीं थे पापा आप। दुनिया ने तो आपको साधक के रूप में खोया किसी ने गुरु के रूप में खोया पर हम तीनों ने तो पापा आपको खोया।भाग्यशाली है हम तीनो भाई बहनए जो आपको पिता के रूप में पाया। सभी पिता और बच्चों का संबंध एक अलौकिक संबंध होता है पर पापा आप तो उस अलौकिकता से भी परे थे। पापा आपने हमें क्यों नहीं बच्चा बने रहने दिया अचानक आप चले गए और हमें बड़ा कर दिया। आज ऐसा लगता है जैसे हम अनाथ हो। पर पापा हमारा आपसे वादा है कि आपके बताए हुए सभी सलाह और निर्देशों का पालन करेंगे। और जिस तरीके से आपने अपनी जिंदगी स्वाभिमान से जी और ईश्वर के प्रति आस्था रखते हुए हमें जो भी शिक्षा दी उसका जीवन पर्यंत हम पालन – दीप्ति
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गुरुजी
निशब्द हूँ, निस्तब्ध भी भावना है एक , नमन और श्रद्धॉंजलि भी गुरुजी बचपन से बस यही एक शब्द गूँजा तबियत हो ख़राब या हो मन /जीवन में उलझन गुरुजी देख रहें हैं इसका रहा आश्वासन कुछ बुरा हो ही नहीं सकता क्योंकि सर पर रहा गुरुजी का आशीर्वाद जीवन पर्यंत करते रहे वो सबका मार्गदर्शन और बढ़ाते रहे मनोबल स्वयं की परवाह किए बिना दिन-रात किया पूजा-हवन पर आज वो स्वाँस थम गई जीवन की डोर कट गयी कर रहे बस हम सब उनको नमन और हमारी श्रद्धॉंजलि है उनको अर्पण
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परोपकार की थे वो साक्षात मूर्त जिसका बन पड़ा , हरा सबका दुख स्वयं के लिए कभी किया नहीं कुछ बिना किसी से कोई अपेक्षा के किया सबका कल्याण और अंतिम क्षरों तक जियें जैसे मानव हो साधारण और किया जीवन प्रयाण 🙏🙏🙏 – श्वेता द्विवेदी (Daughter of विजय प्रताप पाण्डेय)
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परम पूज्य हमारे गुरु जी को मैं कोटि कोटि प्रणाम करता हूँ द्य यह कुछ पूर्व जन्मों का पुण्य ही था की मैं अपने परिवार में जन्म लिया और बचपन से ही गुरूजी का आशीर्वाद मेरे आशीष पे हमेशा रहा द्य उनके व्यक्तित्व को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है द्य मेरे जीवन के हर पन्नों में उनकी छाप मैं पाता हूँ द्य मेरी हर उपलब्धियां जो भी मैंने पूर्व में हासिल कीए एवं वर्तमान में जो भी हासिल कर रहा हूं और जो भी भविष्य में उपलब्धियां हासिल करूंगा वो सब गुरु जी की ही कृपा होगी द्य अभी भी मैं उनको खोजने एक प्रयास कर रहा हूँ की वह कुछ तो संकेत दें किसी भी माध्यम से द्य यह प्रयास जीवंत काल तक चलेगा क्यूंकि अधूरा है जीवन उनके बिना द्य एक गम भी शायद इस जीवन क साथ जायेगाए की उन्होंने अपने जीवंत काल तक सब की पूरी तरह सहायता की यथा संभव तरीके सेए पर मैं उनके स्वस्थ्य या किसी भी अन्य प्रकार से किसी भी काम न आ सकाए यह मेरी अयोग्यता ही थी अगर भविष्य में आगे के जन्मों में मैं इस योग्य हो पायाए तोह इश्वर से यहि प्रार्थना है गुरु जी का सानिध्य दोबारा पाऊँ – अमितेश पाण्डेय
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ॐ श्री गुरुवे नमः 🙏रचित कई पुस्तकें अज्ञानाश्रय ट्रस्ट के वेवसाईट पर उपलब्ध हैं।शेष कार्यों को आप सबके सहयोग से पूर्ण किया जा सकेगा – सुषमा पाण्डेय – विजय प्रकाश पाण्डेय
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हम सब के गुरु जी सब के लिए हमेशा निष्काम भाव से सब की दिक्कतो का निवारण करते रहेए पर हम सब उनके स्वास्थ्य के लिए सार्थक प्रयास नहीं कर पाएए यह हमेशा एक ग़म के तौर पर मेरे मन में रहेगा ।🙏ॐ श्री गुरुवे नमः 🙏 अत्यंत दुखद है।परम पूज्य गुरु जी ;अज्ञान जीद्धकी आत्मा को परमात्मा के श्री चरणों में चिर शांति प्राप्त हो। ऊं शांति ऊं – दिनेश कुमार मिश्रा
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We are shocked by the untimely death of Guruji. We were under Guruji’s blessings since last 8-9 yrs. Guruji always showed us right path. I was personally blessed to support him in social cause by way of working in trust. This loss is irreparable, as he is not present in physical form to guide us. But I am sure Guruji will continue to bless and guide us all and will connect with us again. 🙏🙏– अनूप कुमार
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गुरुदेव के श्री चरणों में शत शत नमनए परम पूजनीयए आदरणीय गुरुदेव के अकस्मात देवलोक जाने के कारण एक समय लगाए कक मैं और मेरा पररवार एकदम अके ला और असहाय सा हो गया हैपरंतुजब च तं न ककया तो पाया कक उनका आशीवाद तो सदा हम लोगों पर बना हुआ है एवं देवलोक जाने से पहले उन्होंने हम लोगों को एक ऐसस रास्ता दे गए हैं जजस पर उनके बताए गए एवं ददए गए ददशा.ननदेशों को अक्षरसा पालन करें तो स्वयं एवं कुटुंब का कल्याण ननजच त हैस ननसंदेह गुरुदेव की भौनतक रूप में कमी हमेशा मन को वव ललत करेगी परंतुइस बात का हर्ा हैए कक मन की आंखों से देखें तो वह सदा सामने दशान एवं आशीवाद देते नजर आते हैंस उनकी इस कृपा से जीवन असीम शांनत का अनुभव करता है भवदीय -पवनेश श्रीवास्तव
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परम पूज्य गुरुदेव को सच्ची श्रद्धांजलि।
गुरु जी का जाना विश्वास से परे हैं। गुरु जी के जाने से मेरे वह मेरे परिवार को अत्यंत दुःख हुआ और दुःख भी ऐसा मानो पहाड़ टूट पड़ा हो। जिसकी भरपाई अब कभी नही हो सकती। गुरु जी के त्यागए तपस्याए सात्विक आत्मबल ही अब मेरे वह मेरे परिवार का मूल्य मंत्र बनेगा। गुरु जी की महिमा का मै क्या बखान करू। मेरे पास शब्द नहीं है। क्योंकि गुरु जी तो स्वयं अज्ञान जी थे। गुरु जी को सच्ची श्रद्धांजलि। – मुकेश झा
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अज्ञानाश्रय ट्रस्ट के सभी प्रबंधकध्आजीवन न्यासी गण जैसा कि पूर्व में ही आप इस अत्यंत दुखद समाचार से अवगत हैं कि ट्रस्ट के संयोजक महोदय परम पूज्य गुरु जी श्री हरिशंकर द्विवेदी ;अज्ञान जीद्ध का आकस्मिक निधन दिनांक 1मार्च 2023 हो गया ।ऐसी स्थिति में आप सभी से अनुरोध है कि आप अपनी शोक संवेदनाध् श्रद्धांजलि के रूप में अपने विचारों से एक सप्ताह में अवगत कराएं। साथ ही ट्रस्ट के संचालन हेतु अपने सुझाव भी प्रेषित करने का कष्ट करें।
परम आदरणीय गुरुजी का आकस्मिक देहावसान अत्यंत दुःखद है ए इससे ऐसी अपूरणीय क्षति हुई है जिसकी प्रतिपूर्ति किसी भी तरह से संभव नहीं है । जीवन में क्या करना हैए कैसे जीना हैए यह सब आदरणीय गुरुजी ने हम लोगों को बताया और सिखाया है । यह हम लोगों का परम सौभाग्य था कि ऐसे ब्रम्हवेत्ता गुरु का शिष्यत्व प्राप्त हुआ जो कि अत्यंत दुर्लभ है ।
हम लोगों को परम आदरणीय गुरुजी द्वारा प्रदान की गई अमूल्य धरोहर को पुष्पित एवं पल्लवित करते हुए जीवन की यात्रा में निरंतर आगे बढ़ते रहना है और अपनी भावी पीढ़ियों को गुरुजी द्वारा निर्देशित सत्य मार्ग पर निरंतर चलने के लिए निर्देशित एवं प्रेरित करते जाना है ।
गुरुजी के द्वारा निर्देशित सत्य मार्ग का आजीवन अनुगमन ही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी ।
अज्ञानाश्रय ट्रस्ट के सुगम संचालन हेतु मासिक सहयोग राशि ए जो कि वर्तमान में बहुतअल्प है ए को रुपए 500ध्. प्रति माह प्रति व्यक्ति किया जाना उचित होगा । उक्त एवं ट्रस्ट के अन्य सभी कार्यों के सुगम संचालन हेतु ट्रस्ट की जनरल मीटिंग का आयोजन शीघ्र किया जाना उचित होगा – प्रमोद श्रीवास्तव
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परम श्रद्धेय दिवंगत गुरुजी को हृदयाआत्मिक श्रद्धांजली🙏अति विलक्षण व्यक्तित्वए दुर्लभतम ज्ञान एवं पांडित्य समायेए स्वयं ष्अज्ञानष् उपनाम से आजीवन सरलताए उदारताए परहीत के प्रबल उदाहरण बन गये। उनकी भौतिक अनुपस्थित अत्यंत दुःखद है।हम पितातुल्य गुरु जी की छत्रछाया से इस आकस्मिक रूप से वंचित हो गयेए अबतक मन कचोट रहा हैए उनकी बातें गूंज रहीं है। हम दोनों भाइयों सहित सपरिवार गुरुजी परम श्रद्धेय रहेंगे🙏 मन.मस्तिष्क में उनका वास है। उनके मार्गदर्शन में रहते हुएए उनके कार्यों को अज्ञानाश्रय ट्रस्ट के माध्यम से सार्थक रूप से आगे बढ़ाना हमारा कर्तव्य है – दिनेश मिश्रा